Wednesday, 27 May 2020

सजल

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सजल
समांत - आर
पदांत -  नही
मात्राभार - 16
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जीवन इतना दुश्वार नहीं 
मंजिल सीमा के पार नहीं 

लेने देने की बात न कर
यह प्यार कभी व्यापार नहीं 

राहें बहुतेरी जीवन में
रोने में कुछ भी सार नहीं 

अपमान बड़ों‌‌ का ‌कर पाएँ
अपना तो‌ यह संस्कार नहीं

चलने से इंकार किया है/ साथी बनने इंकार किया 
छोड़ा तुमको मझधार नहीं

स्वरचित -  डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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