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सजल
समांत - आर
पदांत - नही
मात्राभार - 16
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जीवन इतना दुश्वार नहीं
मंजिल सीमा के पार नहीं
लेने देने की बात न कर
यह प्यार कभी व्यापार नहीं
राहें बहुतेरी जीवन में
रोने में कुछ भी सार नहीं
अपमान बड़ों का कर पाएँ
अपना तो यह संस्कार नहीं
चलने से इंकार किया है/ साथी बनने इंकार किया
छोड़ा तुमको मझधार नहीं
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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