Saturday, 16 May 2020

गीत 2

*गीत*
कोयल कूके जब अमुवा पर ,
मन-भौंरा इठलाता है ।
हृदवीना की मीठी धुन सुन ,
तन - मन झूमा जाता है ।।

महका - महका  सारा उपवन ,
यौवन  बहका जाता है ।
वासंती बयार की धुन पर ,
मौसम जब बौराता है ।।

क्रीड़ा करती चपल चाँदनी ,
गगन धवल हो जाता है ।
बादल के पर्दे के पीछे ,
चाँद छुपा मुस्काता है ।।

कल - कल करता झरने का जल ,
जीवन - राग सुनाता है ।
रश्मिरथी के मृदुल छुअन से ,
हृदय -पटल खिल जाता है ।।

डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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