Friday, 15 May 2020

भूख ( लघुकथा )

   रवि जिस  थाने का प्रभारी था  उस क्षेत्र में मजदूरों के पलायन की सूचना मिली थी । संज्ञान लेने वह पहुँचा तो उसके सिपाही उन्हें रोक कर रखे थे । महोदय , ये लोग पैदल ही पटना जाने के लिए निकले हैं .…साथ में बच्चे भी हैं । रवि बोला - "क्यों जी इतने दूर पैदल कैसे जाओगे  ? अपने साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डाल रहे आप लोग । इतनी बड़ी बीमारी है कोरोना इससे डर नहीं लगता क्या  ? " "दो माह से काम बन्द है साहब , जमापूंजी खत्म हो गई । खाने - पीने का ठिकाना नहीं है इसलिए अपने गाँव जा रहे हैं ,वहाँ कुछ तो मिलेगा । साहब कोरोना से कैसा डर  , भूख से बड़ी भी कोई बीमारी है साहब ?
     रवि ने कुछ रुपये ,  खाने का सामान देकर उन्हें एक ट्रक में बिठा दिया । पूरे दिन उसके कानों में यही गूँजता रहा - " भूख से बड़ी भी कोई बीमारी है साहब " ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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