Thursday, 7 May 2020

मुक्तक ( बचपन )

दुनियावी रीत के आगोश में सो गया ,
बड़ों की अपेक्षाओं  के आगे रो गया ।
पानी की छप- छप में वो मेंढक पकड़ना _
पतंगों ,तितलियों सा वह बचपन खो गया ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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