Sunday, 10 May 2020

माँ

माँ
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सारी खुशियाँ देकर वह  दुःख दर्द हर लेती  है ,
माँ तो फूँककर हर मर्ज का इलाज कर देती है ।
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मौत को भी डराता है उसके काजल का टीका ,
अपनी सारी दुआएं वह ताबीज में भर देती है ।
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उसके आँचल के साये में महफूज रहता जीवन ,
मुट्ठी में सरसों भर कर वह उतार नजर देती है ।
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परिवार के सुख के लिए करती है व्रत - पूजन ,
विपदा अगर आये नैन अश्कों से तर कर देती है ।
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जिंदगी की किताब लिखने घिसती यह कलम ,
वह  मोमबत्ती की तरह रोशनी जल कर देती है ।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़







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