Tuesday, 5 May 2020

मुक्तक

सूरज को ढक नहीं सकता जलज- आवरण ,
मधुर स्मृति दे जाता है स्नेहसिक्त आचरण ।
सत्कार्यों की गूंज सुनाई देगी दूर तलक_
तुम  राष्ट्रसेवा  का धर्म निभाना आमरण ।।

डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़
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जिनके स्नेह की छांव में मरुथल गुलमर्ग होता है ,
जिनके आशीर्वाद से जीवन का उत्सर्ग होता है ।
ईश्वर ने भी दिया है जिनको मान और सम्मान _
मात- पिता के चरणों में रहना  स्वर्ग होता है ।।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ,छत्तीसगढ़

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