Monday, 4 May 2020

रात चाहे जितनी भी काली हो

रात चाहे जितनी भी काली हो , सूरज जरूर निकलता है ।उसी प्रकार  चाहे जीवन में  जितना भी अंधेरा आये , मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़े परन्तु उनका अंत होना ही है । कभी न कभी तो यह अंधेरा दूर होगा और एक उजला , मुस्कुराता हुआ दिन हमारा स्वागत करेगा । हमारे आस और विश्वास की अवश्य जीत होगी  ,हमारी चाहतें पूरी होंगी , ख्वाहिशों को हौसलों व साहस के पर लगेंगे ।आँखों में ख्वाब होंगे और दिल में उन्हें पूरा करने का  जज़्बा होगा । अपने सपने , अपनी  मंजिल को पाने की कोशिशें होंगी  । वक्त के कदमों से कदम मिलाते हुए हम अपने लक्ष्य को पाने में सफलता प्राप्त करेंगे ।  जीवन - सरिता बह निकलेगी अपने उसी  तीव्र प्रवाह के साथ समंदर से मिलने को । अभी कुछ पल के लिए रुक गए हैं तो झील की तरह निर्मल और मीठे जल का स्त्रोत बने रहें , अपने मन की  तलहटी में निराशा , अविश्वास रूपी कीचड़  को न जमने दें । अपने जीवन को सक्रिय , उपयोगी बनायें ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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