आनी बानी के फूल खिले हे
कांटा खूंटी अउ कचरा मा
भोरमदेव अउ सिरपुर कस
नगीना जड़े मोर अंचरा मा
कालिदास जिहा लिखिस मेघदूत
हम वो पहाड़ रामगढ़िया अन....।।
हमन छत्तीसगढ़िया अन ..हमन छत्तीसगढ़िया अन ।।
खेती किसानी करके मेंहा
जग के भूख मिटाथव ।
बोहा के अपन खून पसीना
लोहा तको गलाथव ।
भेलई के स्टील प्लांट कस
अब्बड़ हम जंगरिहा अन...।।
हमन छत्तीसगढ़िया अन...हमन छत्तीसगढ़िया अन ।।
गुरतुर गुरतुर मोर बोली
गुड़ मा अतेक मिठास कहाँ ।
बर , पीपर ,तरिया नदिया मा
तउरत रथे बिश्वास इहाँ ।
माँ बाप के सेवा करथन
घर मंदिर के गढ़िया अन ...।
हमन छत्तीसगढ़िया अन ...हमन छत्तीसगढ़िया अन ।।
सीधा सादा हमर जिनगी
पइसा के पीछू नई दौड़न ।
बैर भाव ल कभू नई जानेन
दंगा फसाद म मुड़ नई फोड़न ।
जोर के रखथन हमन सबला
रिश्ता के मान बढ़इया अन ।
हमन छत्तीसगढ़िया अन...हमन छत्तीसगढ़िया अन ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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