मुश्किल हों हालात ,
भाव भरे जज़्बात ,
कुछ न हो अपने हाथ ,
बहता चल , जीवन के लहर संग बहता चल ।
उलझे लम्हों को काटता,
सूझे न कोई रास्ता ,
मिला न कोई साथ ,
चलता चल ,जीवन की डगर मे चलता चल।
अंधेरे घनघोर बड़े ,
बाधाएं राहों में खड़े ,
उम्मीदों के दीप जला ,
जलता चल , राहों को रोशन करता चल ।
अपनों का साथ ले,
दुःखो को बाँट ले ,
हौसलों की बाँह थाम ,
सम्भलता चल ,औरों को सहारा देता चल ।
मन के हारे हार है ,
मन के जीते जीत ,
मन को ऐसा साध ले ,
फूटे विजय -संगीत , गाता चल ,गुनगुनाता चल ।
डूबकर समंदर में ,
मोती ढूंढ निकाल ,
उदासी के भँवर से ,
बाहर निकल ,मुस्कुराता चल ,हँसाता चल ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे ,दुर्ग , छत्तीसगढ़
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