Saturday, 10 June 2017

आपकी बाहों में

मेरा सपना हुआ साकार ,
भूल गई बाबुल का प्यार ,
सिमट गया मेरा संसार ,
आपकी बाहों में.....।
सारे बन्धन तोड़ कर ,
जीवन के हर मोड़ पर ,
पाया मैंने प्यार ही प्यार ,
आपकी बाहों में .....।
दर्द के लगे पहरे ,
छाये जब गम के कोहरे ,
पाया स्वच्छ बृहद आकाश ,
आपकी बाहों में .....।
सम्पूर्ण हुआ जीवन ,
महक उठा तन - मन ,
आई एक नई  बहार ,
आपकी बाहों में .....।
पुलकित हुआ यौवन ,
प्रेम रस भीगा आँगन ,
कर लिया अनूठा श्रृंगार ,
आपकी बाहों में .....।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
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