Friday, 23 June 2017

सबक ( लघु कथा )

कई दिनों से मैं देख रही थी , कक्षा दसवीं की वह छात्रा
पढ़ाई में ध्यान नहीं दे रही थी  , न ही कोई गृहकार्य पूरा
कर रही  थी । आज तो मुझे गुस्सा आ गया था , मैंने उसे कक्षा में जोर की डांट  लगाई थी । इस बार तुम्हारा
बोर्ड एग्जाम है  और तुम लापरवाह हो रही हो। कुछ
कहा नहीं था उसने ..बस नजर नीची किए मेरी बात
सुनती रही । बाद में मुझे उसकी सहेली ने कारण बताया
तो मेरा दिल रो उठा ...उसे उसके शराबी पिता ने घर
से निकाल दिया है मैडम , अपनी माँ को मारने का
विरोध करने के कारण ....अभी वह अपने बुआ के घर
पर रहती है । जिंदगी की कक्षा में कितने बड़े - बड़े
सबक सीख रही थी वह ।

   स्वरचित- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
☺️   ☺️

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