जल है तो कल है ( विश्व जल दिवस पर विशेष )
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प्रकृति के अनमोल उपहारों में ,
सबसे ऊपर जल है...
बचत करें , संचय करें ,
क्योंकि जल है तो कल है ।
कटते जा रहे हैं पेड़ ,
वन - क्षेत्र में हो रही कमी ....
प्रभाकर की प्रखर किरणें ,
सोख रही धरा की नमी ...
जलधार नदियों की ,
क्यों दिख रही दुर्बल है ।
जल है तो कल है ।।
भौतिकता की राह में ,
वसुंधरा को भुला दिया...
कांक्रीट की छत बनाने ,
हरीतिमा मिटा दिया...
अब भी सम्भल जाओ ,
लालच की आँधी बड़ी प्रबल है ।
जल है तो कल है ।।
सूख गये ताल - तलैया ,
कृशकाय हुआ निर्झर है..
सूखे कुँए बाँह पसारे ,
ताकते ऊपर हैं ...
नलकूपों की बढ़ती आबादी ,
घटता भूमिगत जल है ।
जल है तो कल है ।।
स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़ ,🌧️
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