मैंने देखा एक सुन्दर सपना ।
पहाड़ों के बीच बना घर अपना ।
हरे - भरे पेड़ घने , छायादार ।
तोते , चिड़ियों की कलरव से गुलजार।
घर के पीछे एक नदी बहती ।
चलते रहो निरन्तर यह कहती ।
घर के सामने एक सुन्दर फुलवारी ।
चम्पा , चमेली , गुलाब की क्यारी ।
फूलों की खुशबू से महका वातावरण ।
गाड़ी , धुँआ नहीं ,शुद्ध पर्यावरण ।
काश ! मेरा यह सपना सच हो जाता ।
अपने देश को स्वच्छ , हरा - भरा पाता ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़☺️☺️
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