Saturday, 21 October 2017

शुभेच्छा

पति - पत्नी के बीच बहस तो आम बात है...पर आज
राज और रेखा की बहस कुछ ज्यादा हो गई थी । माहौल बेहद गर्म था , बच्चे सहमे हुए बैठे थे । आज
उनके विवाह की आठवीं वर्षगांठ थी ...बेवजह बात
बिगड़ गई थी..तनावपूर्ण वातावरण था । गलती दोनों
को समझ आ रही थी पर पहल कौन करे ।दोनों का मूड
ऑफ था...तभी अचानक...राज की छोटी बहन रश्मि
अपने परिवार के साथ आई ... ढेर सारे फूल , केक और
मुस्कुराहटें लेकर...शादी की सालगिरह मुबारक हो भैया
- भाभी ...इतने महत्वपूर्ण  दिन घर पर कैसे बैठे हो भई
चलो कहीं बाहर चलते हैं ...देखूँ भाभी ने क्या बनाया है
उफ...केले की सब्जी ...आज के दिन ये सब्जी कौन खायेगा...चलो कल खा  लेना । उसे देखकर  राज - रेखा को कुछ भी कहते नहीं बना ...बल्कि दोनों सामान्य होने की कोशिश करने लगे । बच्चे भी बुआ ,
फूफाजी और भाई - बहनों में व्यस्त हो गए ...बुआ के
बाहर जाने वाले सुझाव का सबने समर्थन किया और
घर बन्द कर निकल गए । कुछ घण्टे उनके साथ बहुत
मजेदार रहे...वापस लौटते समय राज और रेखा के बीच
का तनाव उड़न  -छू हो चुका था । रश्मि  एक ठण्डी
हवा के झोंके की तरह उनके बोझिल लम्हों को उड़ा ले
गई थी ..साथ ही विवाह के समय के गुदगुदाते  पलों
की याद भी दिलाती गई क्योंकि सारे खूबसूरत पलों की
वह गवाह होती है ननद होने के नाते.. विवाह , बच्चों के
जन्म संस्कार , गृह - प्रवेश सारे महत्वपूर्ण लम्हों में वह
साथ खड़ी होती है  । सुख - दुःख में साथ खड़े होने वाली  बहन सचमुच  उसके घर की रौनक है ...खुशियों
भरे इन पलों को प्रदान करने वाली रश्मि के लिये राज और रेखा दोनों के  दिल शुभेच्छाओं से भर उठे थे ।। 

सभी भाई - बहनों को भाई - दूज की ढेर सारी शुभकामनाएं।
    ☺️☺️  स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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