जब तुम हमारे संग न होते ,
जीवन में इतने रंग न होते ।
जीने की रस्में निभाते जरूर ,
पर साँसों में घुलते उमंग न होते।
प्रीत की डोर में बंधे सपने ,
गगन में उड़ते पतंग न होते।
अथाह न होती गहराईयां दिल की,
खुशियों के ऊँचे तरंग न होते ।
दुनिया के जख्मों से मर ही जाते,
गर तुम्हारे प्यार के मरहम न होते ।
चुरा लिया होता सबकी नजर से ,
जो हम तुम्हारी पसन्द न होते ।
साथ न मिलता यूँ तुम्हारा,
जीवन में इतने आनन्द न होते।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे ,दुर्ग , छत्तीसगढ़ ☺️☺️
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