Saturday, 7 October 2017

साथ तुम्हारा

जब तुम हमारे  संग न  होते ,
जीवन  में इतने   रंग न होते ।
जीने की रस्में निभाते जरूर ,
पर साँसों में घुलते उमंग न होते।
प्रीत की डोर में बंधे सपने ,
गगन में उड़ते पतंग न होते।
अथाह न होती गहराईयां  दिल की,
खुशियों के ऊँचे तरंग न होते ।
दुनिया के जख्मों से मर ही जाते,
गर तुम्हारे प्यार  के मरहम न होते ।
चुरा लिया होता सबकी नजर से ,
जो  हम  तुम्हारी  पसन्द न होते ।
साथ न मिलता यूँ तुम्हारा,
जीवन में इतने आनन्द न होते।।

     स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे ,दुर्ग , छत्तीसगढ़ ☺️☺️

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