घिर आये , काले बादल ...
बरस पड़ी जल - धार ।
हरे रंग से प्रकृति ने ...
धरती का किया श्रृंगार ।
मुस्काया सूरज जब ...
देख कर नई बहार ।
आसमानी रंगों की...
मानों हो गई बौछार ।
बैंगनी , जमुनी , नीला , हरा...
पीला , नारंगी , लाल ।
धनुष सी तन गई जाकर ..
करने लगी धमाल ।
रंगों की हम सात लकीरें ..
इंद्रधनुष कहलाईं ।
दिखने लगीं सफेद ...
जब मिलकर हम मुस्काई ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़ ☺️☺️
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