बिजली चमकी , बादल गरजे ...
छाया घनघोर अंधेरा ।
डरना नहीं , रुकना नहीं ...
होगा नया सवेरा ।।
सीखें रहना मिल - जुलकर ...
मन में हो प्रेम का बसेरा ।
चलो बाँटें सुख - दुख ...
बनाएं सहयोग का घेरा ।
धरती के चारों ओर ...
सूरज ने लगाया फेरा ।
कहा पवन ने एक हम सब...
न करो तेरा - मेरा ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़☺️☺️
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