चेहरे की शान बनी...
जैसे माथे की बिन्दी ।
जन- जन की पहचान बनी...
वैसे राष्ट्रभाषा हिन्दी ।
संस्कृत है जननी इसकी...
लिपि देवनागरी कहलाती ।
अरबी , फ़ारसी , उर्दू , अंग्रेजी...
शब्दकोश इसका बढ़ाती ।
हिंदी की तरलता में ....
कई संस्कृतियाँ घुलीं ।
हिन्दी की सरलता में उन्हें ....
माँ की ममता मिली ।
चौदह सितम्बर को संविधान ने ..
हिन्दी को अपनाया ।
इस दिन सहर्ष भारत ने...
हिन्दी दिवस मनाया ।।
स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़ ☺️☺️
आसमान में उड़ते बादलों की तरह भाव मेरे मन में उमड़ते -घुमड़ते रहते हैं , मैं प्यासी धरा की तरह बेचैन रहती हूँ जब तक उन्हें पन्नों में उतार न लूँ !
Saturday, 14 October 2017
राष्ट्रभाषा हिन्दी ( बाल - गीत )
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