वो पहला खत ...
था बहुत खास ।
किया था जिसमें ,
प्यार का इज़हार ।
मुश्किल बहुत था
लफ़्ज़ों को चुनना ।
ख्वाहिशों के रेशे ,
एहसासों से बुनना ।
लिखना , मिटाना ,
फाड़कर फिर लिखना ।
उसे जेहन में रख ,
चूमा था खत कई बार ।
प्रेम की स्याही से ,
घर की दीवारें रंगना ।
लफ़्ज़ों में उसका ,
चेहरा नजर आना ।
ख्यालों से उसके ,
फिजां महक जाना ।
सन्देशा पहुँचाने को ,
था दिल बेकरार ।
उसका मुड़कर देखना ,
देख कर मुस्कुराना ।
चाहतों का जादू ,
दिल पर छा जाना ।
निगाहों निगाहों में ,
किया था इकरार ।
*** डॉ. दीक्षा चौबे
No comments:
Post a Comment