सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गया है । सिक्के के दो पहलू की तरह इसके भी सकारात्मक और नकारात्मक दो पक्ष हैं । यह तो हम पर निर्भर करता है कि हम इसका कैसे उपयोग करते हैं । सोशल मीडिया ने जहाँ जिंदगी को एक नई ऊंचाई प्रदान की है , गति दी है वहीं कई अपराधों को भी बढ़ावा दिया है । कई बिछड़े दोस्त मिले हैं , मेल - मुलाकात का दायरा बढ़ा है , दूरियाँ घटी है , जिन लोगों से मिले बरसों हो जाता था वे इसके माध्यम से रोज मिल रहे हैं । एक दूसरे के ख्यालों से रूबरू हो रहे हैं ।
अभिव्यक्ति को कई मंच मिले हैं , कइयों को रोजगार मिला है , ऑनलाइन शॉपिंग ने लोगों को घर बैठे सामान मंगाने की सुविधा उपलब्ध कराई है । दुनिया छोटी हो गई है , विदेश बैठे मित्र से भी आसानी से मिल पा रहे हैं । दूसरी ओर लोग फोन तक ही सिमटकर रह गए हैं , दिखावे की प्रवृत्ति बढ़ी है , जो है वह दिखता नहीं है , जो नहीं है वह दिखता है । जालसाजी और ठगी बढ़ी है , ब्लैकमेलिंग , धोखेबाजी की घटनाओं में वृद्धि होती जा रही है , लोग रिश्तों में सन्देह करने लगे हैं । जहाँ फायदे हैं वहाँ नुकसान भी होता है ।
हमारे लिए जरूरी यह है कि हम अपने आप पर नियंत्रण रखें । मीडिया को अपने आदर्शों पर हावी न होने दें । इसका उपयोग सोच समझकर करें । इसका लाभ उठायें पर अपने आपको इसका गुलाम न बनने दें । जिस प्रकार डंडे का उपयोग हम अपनी सुरक्षा के लिए भी कर सकते हैं और दूसरों पर आक्रमण करने के लिए भी । इसमें डंडे का क्या अपराध है उसी प्रकार सोशल मीडिया का उपयोग या दुरुपयोग हमारे ऊपर निर्भर है । हम सावधान रहें तो कोई हमें बेवकूफ नहीं बना सकता । परिचय का दायरा बढाइये मगर सम्भलकर । इसके माध्यम से हमें कई प्यारे दोस्त , रिश्ते मिले जिनसे हमारा मिलना असम्भव था ।" हमारा संसार " परिवार मिला इसके लिए तो सोशल मीडिया का एहसान मानना ही होगा । इसका भरपूर लाभ अपना ज्ञान बढाने , अपनी रुचियों को पूरी करने , साहित्य व किताबें पढ़ने , मनोरंजन , खेल इत्यादि के द्वारा लें और अपने जीवन में खुशियाँ लायें । स्वयं खुश रहें और लोगों में खुशियाँ बांटे ।
आप सभी को मेरा सादर अभिवादन 🙏🙏
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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