Monday, 8 July 2019

दूर के ढोल ( कविता )

स्वार्थ के तराजू में , इस दिल को न  तू तौल  ,
सोने के चंद सिक्के , चुका न पायें इसका मोल ।

बिकता न हाट बाजार , न कर इसका व्यापार ,
कद्र कर  सहेज इसको  , ये प्यार बड़ा अनमोल ।

छल कपट से परे रह ,  मधुर  रख  व्यवहार ,
दिलों को जीत लोगे  , बस बोल दो मीठे बोल ।

सही - गलत की परख कर, पकड़  सही राह ,
न भटक अंधेरी गलियों में ,आँखें अपनी खोल ।

मीठी बातों के जाल हैं , दिखावे की दुनिया ,
बचकर रहना  इनसे ,बड़े सुहाने दूर के ढोल ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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