स्वार्थ के तराजू में , इस दिल को न तू तौल ,
सोने के चंद सिक्के , चुका न पायें इसका मोल ।
बिकता न हाट बाजार , न कर इसका व्यापार ,
कद्र कर सहेज इसको , ये प्यार बड़ा अनमोल ।
छल कपट से परे रह , मधुर रख व्यवहार ,
दिलों को जीत लोगे , बस बोल दो मीठे बोल ।
सही - गलत की परख कर, पकड़ सही राह ,
न भटक अंधेरी गलियों में ,आँखें अपनी खोल ।
मीठी बातों के जाल हैं , दिखावे की दुनिया ,
बचकर रहना इनसे ,बड़े सुहाने दूर के ढोल ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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