Thursday, 4 July 2019

परवरिश ( लघुकथा )

आज पुलिस की वर्दी में अभय ने  सविता के पैर छुए तो उसकी आँखें भर आईं और पच्चीस वर्ष पहले की घटना याद आ गई । सविता के पति पुलिस अधीक्षक थे उन्होंने जब एक चोर को पकड़ा तो वह अपने छः वर्ष के बेटे की चिंता कर रो पड़ा था और वे उस बालक अभय को अपने घर ले आये थे । जहाँ दो बच्चे पल रहे हैं वहाँ एक और सही ..उनकी दी गई शिक्षा और सही परवरिश का ही नतीजा था कि अभय पढ़ - लिख कर उच्च पद पर पहुँच गया था वरना जिस माहौल में वह रह रहा था शायद चोर उचक्का ही बनता । अभय ने भी बहुत मेहनत की , उन्हें कभी निराश नहीं किया । बच्चे तो मिट्टी की तरह होते हैं , उन्हें जैसा वातावरण मिलता है ढल जाते हैं... सविता अपनी आँखों में आँसू लिये अपने दिवंगत पति को श्रद्धांजलि अर्पित कर रही थी ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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