दुनिया की बातों को दिल से न लगाना ,
प्यार का दुश्मन है सदियों से जमाना ।
रीत प्रीत की तुम भूल ही गये आखिर ,
वक्त न मिलने का जो बना रहे बहाना ।
बरसों तक कर भी अनथक हैं मेरे नैन ,
अधूरी ख्वाहिशों ने बना दिया दीवाना ।
तुझे ही चाहेंगे हम दम निकलने तक ,
ऐसी क्या मजबूरी जो कर दिया बेगाना ।
सजाये रखा है पलकों पे तेरे सपने को ,
मिलन के गीत गाता रहेगा ये मस्ताना ।
कभी तो मुकम्मल होगी मेरी कहानी ,
ख्वाबों को अपनी हसरतों से सजाना ।
पीर पर्वत सी पिघलेगी एक दिन जरूर ,
इश्क की तपिश में अपना दिल जलाना ।
उड़ जायेंगे एक दिन हम पंछी के मानिंद ,
अश्कों से लिख जायेंगे इश्क का फ़साना ।
मुश्किलों से मिलता है प्यार यहाँ " दीक्षा "
इज़हार- ए - इश्क को अब न देर लगाना ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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