देखो इस परिवार का क्या हो गया हाल ,
छोटी - छोटी बात पर ये मचा रहे बवाल ।
मचा रहे बवाल कि कुछ समझ न आये ,
सहमा है नन्हा बच्चा रोये या चिल्लाये ।
पहले सी नहीं रही, जिंदगी है कि जंजाल ।
पति - पत्नी की जंग में हार- जीत कैसी,
गृहस्थी के ये दो पहिये हालत एक जैसी ।
अविश्वास और जिद ने घर को तोड़ दिया ,
सुख - शांति और चैन ने साथ छोड़ दिया ।
रोज - रोज की झिकझिक से हुए बेहाल ।
आधुनिक वस्त्रों में खो न जाएं संस्कार ,
झूठी शान और दिखावे ने मचाया रार ।
घर में जो मिलता रहा प्रेम और सुकून ,
अब वहाँ है सिर्फ दम्भ , झूठा अहंकार ।
बच्चों के पिस जाने का न कोई मलाल ।
देखो इस परिवार का क्या हो गया हाल ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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