Monday, 9 September 2019

क्या यही प्यार है ?

मन की कली खिल उठी , दिल का चमन गुलज़ार है,
तेरे  आने से जीवन में आई बहार ,क्या यही प्यार है ।

नजारा उनका करके जो  नज़रें मेरी झुक जाती हैं ,
झंकृत हो उठे हृद - वीणा के तार , क्या यही प्यार है ।

कातिल  निगाहों से उसने जो छू लिया मुझको ,
हया  से हो गये गुलाबी  रुख़सार , क्या यही प्यार है ।

रूबरू पाकर उन्हें  बढ़ जाती है मेरी धड़कन ,
थरथराते लब कर देते इजहार , क्या यही प्यार है ।

हर  ओर नज़र आती है  पिया तेरी  ही  सूरत ,
मिलने को  दिल रहता बेकरार , क्या यही प्यार है ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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