Monday, 30 September 2019

प्रेम विवाह ( लघुकथा )

आज  राज फिर शराब पीकर आया था  और नियति से झगड़ा कर रहा था । कभी - कभार उस पर हाथ भी उठाने लगा था । नियति ने इतनी कोशिश की उसे समझाने की कि यह आदत सही नहीं , बेटा भी अब बड़ा हो रहा है , उसके बाल - मन  पर गलत असर पड़ेगा । नशा उतरने के बाद राज अपनी गलती पर पछताता पर अपनी आदत से मजबूर हो फिर पीकर आ जाता । चार वर्ष पहले उन्होंने प्रेम - विवाह किया था पापा ने कितना मना किया था उसे , परन्तु नियति की आँखों पर तो राज के प्रेम की पट्टी बंधी हुई थी । उसने मम्मी - पापा की बात नहीं मानी । अब किस मुँह से उन्हें अपनी तकलीफ बताने जाये । आज उसे अपने एकतरफा निर्णय पर अफ़सोस हो रहा था , अपने परिवार को विश्वास में लेकर विवाह करती तो आज अधिकार से उनकी मदद माँगने चली जाती ।
           माँ बनकर समझ आया था कि बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावक क्यों  चिंतित रहते हैं । आज वह अपने पिता के कंधे का सहारा लेना चाहती थी , अपने बच्चे के भविष्य के लिए अपने अहम को परे रखकर पिता से माफी माँगने का दृढ़ निश्चय कर लिया था उसने।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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