Friday, 20 September 2019

ग़ज़ल

चुरा लिया गुलों से  शबनम हमने ,
अश्कों से यादों को किया पुरनम हमने ।

साथी जरा तुम भी गुनगुना देना ,
भीगे जज्बातों  से बनाया सरगम हमने ।

खुशियों से महकता रहे घर- आँगन ,
अपनी दुआओं में  माँगा हरदम हमने ।

हसरत नहीं कुछ और पाने की  अब ,
नगीनों में चुना है  नीलम हमने ।

बेखौफ हो जीने का हुनर सीख लिया ,
इश्क का फहराया जब से परचम हमने ।

हौसला जो मिला हमसफ़र तुझसे,
मंजिल की ओर उठाया हर कदम हमने ।

दौर- ए-आजमाइशों से निकल" दीक्षा ",
दुश्वारियाँ सह कर पाया  सनम हमने ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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