समांत - आद
पदांत - करता है
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नादान है ये दिल तुम्हें ही याद करता है ,
घड़ी - घड़ी मिलने की फरियाद करता है ।
खूबसूरत बहुत होते हैं नागफनी के फूल ,
सफर काँटों का मंजिल आबाद करता है ।
आवाज ऊँची करने से सच झूठ नहीं बनता ,
झूठ को सच बनाने व्यर्थ विवाद करता है ।
कुछ भाव शब्दों में अभिव्यक्त नहीं हो पाते ,
मौन भी कभी - कभी संवाद करता है ।
सोच को अपनी कभी कमजोर मत करना ,
इरादों की गहराई मजबूत बुनियाद करता है ।
मकड़जाल हैं ये इनसे बचकर रहना ,
दुर्व्यसन जीवन को सदा बर्बाद करता है ।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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