Sunday, 16 February 2020

गजल

ग़ज़ल
काफ़िया - अंत
रदीफ़ - होगा
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 उपवन में कब बसन्त होगा ,
विपदाओं का कब अंत होगा ।
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पतझड़ के बाद फूटेंगे पल्लव ,
मृतप्राय देह कब जीवंत होगा ।
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जड़ों को सींचो फूल खिलेंगे ,
बाँटने से ही सुख अनन्त होगा ।
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अपने लिए जिये तो क्या जिये ,
परोपकार जो करे वह सन्त होगा ।
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जीवन में  सद्कर्म करो "दीक्षा " ,
नाम तुम्हारा मृत्युपर्यन्त होगा ।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़








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