Wednesday, 19 February 2020

बचत का महत्व ( संस्मरण )

 मेरे जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना जीवन में बचत के महत्व को सिद्ध करती है । मेरी मम्मी को फ़िल्म देखने का बहुत शौक था । हम छोटी जगह पर रहते थे तो वहाँ कोई टॉकीज नहीं था । फ़िल्म देखने के लिए उन्हें भाटापारा या बिलासपुर जाना पड़ता था । मुझे पहले फ़िल्म देखने का बिल्कुल शौक नहीं था उसकी बजाय मैं कहानियों की किताबें , पत्रिका वगैरह पढ़ना पसन्द करती थी । मैं फ़िल्म नहीं देखती थी पर टिकट के पैसे मम्मी से लेकर अपने पास जमा करती थी । मम्मी ने ही मुझे बचत करना सिखाया था कि अपने खर्चों को  कम करके बचाना ही असली बचत है । मैं बिल्कुल फिजूलखर्च नहीं थी , कभी जरूरत से अधिक कपड़ों , चूड़ी , ज्वेलरी खरीदने की जिद नहीं की । कपड़े भी मम्मी को जरूरत महसूस होती तो वह स्वयं लेती , हमने कभी जिद नहीं किया । पर अपने हिसाब की मैं एकदम पक्की थी , इस तरह छोटी - छोटी बचत मैं कई वर्षों से कर रही थी । जब हम लोगों का घर बना तो बहुत जरूरत के वक्त मैंने अपनी जमापूंजी मम्मी को दी तो उनके साथ पापा भी चकित हो गये और उनके चेहरे की खुशी स्पष्ट झलक रही थी । मुझे भी अच्छा लगा  कि मैंने अपनी ओर से अपने घर के निर्माण में योगदान दिया । उस खुशी ने हमेशा के लिए मुझे बचत का महत्व सिखा दिया और अभी भी घर - खर्च से बचत करके बड़ी रकम जमा होने के बाद  अपने किसी शौक में खर्च करने की बजाय मैं पतिदेव को सौंप देती हूँ ताकि वे उसे सही जगह उपयोग कर सकें । हमें उतना ही पैर पसारना चाहिए जितनी लम्बी अपनी चादर हो । जरूरत से अधिक खर्च करने की आदत लोगों को कर्ज के चक्रव्यूह में फँसा देती है जिससे बाहर आने में जिंदगी निकल जाती है ।

स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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