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किस दिशा से आई है नफरतों की आँधी ,
जाति - धर्म की सीमाएँ किसने है बाँधी ।
वैमनस्य की फसल कैसे लहलहा उठी_
जिस धरा पर जन्मे विवेकानन्द , गाँधी ।।
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एक सबकी पीड़ा है , एक सबका हाल है ,
बेबसी ,अभाव से सबकी जिंदगी बेहाल है ।
मुसीबत नहीं आती किसी का धर्म देखकर_
सम्भल जाओ ये तुम्हें लड़ाने की चाल है ।।
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स्वार्थ भरी राजनीति न किया करो ,
सत्कार्यों का मूल्य न लिया करो ।
जलती चिता में रोटियाँ सेंकने वालों_
क्षुद्र कीड़े सी जिंदगी न जिया करो ।।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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