नजारे भी अपने लगने लगे ।
दिल में बस गई सूरत तेरी ,
मेरे खयालों में रहने लगे ।।
जिंदगी हसीन लगने लगी ,
ख़्वाब आँखों में सजने लगे ।
दुनिया नई सी लगने लगी ,
सतरंगी सपने पलने लगे ।।
उमंगों भरी उड़ान है मेरी ,
सपनों के पर लगने लगे ।
भूलने लगी खुद को मैं ,
आँखों में तुम दिखने लगे ।।
खुशियों से भीगा सारा बदन ,
कानों में संगीत बजने लगे ।
महका हुआ लगा ये चमन ,
फूल भी संग- संग हँसने लगे ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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