Saturday, 1 February 2020

मुक्तक

चेहरा तो दर्पण है सच ही दिखलाता है ,
जब दिल में हो खुशियाँ तब मुस्कुराता है ।
       या
चेहरा तो दर्पण है सच ही दिखलाता है ,
जब खुशियाँ हों मन में तब मुस्कुराता है ।
असहनीय जब हो जाती वेदना मन की _
नयन सेअश्रुजल आप ही छलक जाता है ।।
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परिश्रम जरूरत से ज्यादा कर लिया हमने ,
अपने - आप से यह वादा कर लिया हमने ।
बाधाओं के आगे झुकेंगे नहीं कभी अब_
जीत का पक्का इरादा कर लिया हमने ।।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़



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