Friday, 14 February 2020

प्रेम है ना❤️❤️

प्रेम है ना !❤️ !
भीगी आँखों पे पलकों के साये
टूटे दिल पे रखे प्यार के फाहे
नर्म होठों से चूम कर माथा
बाहें घेर कर तसल्ली दिलाये
प्रेम है ना !
हँसते अधरों के बीच भी
पढ़ लेते नम निगाहें
सीने से लगकर जी भर रो लें
दर्द जहाँ जाकर सुकून पाये
प्रेम है ना !
जीवन में सुख - दुःख के हिंडोले
नैया डगमग- डगमग डोले
लड़खड़ाए जहाँ कदम मेरे
दौड़कर तुम थामने आये
प्रेम है ना !
ध्यान रखते कितना मेरा
पूरी करते छोटी- बड़ी चाहें
सुख के कितने निर्मल झोंके
गृहस्थ जीवन में आये - जाये
प्रेम है ना !
❤️❤️
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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