Thursday, 19 March 2020

सजल 16

 खनक रहा है बहुत समझ लो वह  सिक्का  तो खोटा है
कभी किसी के काम न आया  ज्ञान समझिए थोथा है 
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शांत रहे  वह  सदा   ज्ञान का जो अथाह भंडार रहे
आधी भरी गगरी का जल ही बहुत  उछलता है 
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दौड़ लगानी होगी  तुमको साथ - साथ चलकर
समय  किसी के लिए  भला कब और कहाँ ये रुकता है
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बैठ किनारे  रह जाने  से नहीं कभी कुछ  मिलता  है
डूब गया जो गहरे तक उसको ही मोती मिलता है
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पूरी उम्र बीत जाती है तब  जाकर मिलता अनुभव 
नहीं लौटकर आता है वो पल जो कर से  छूटा  है
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़


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