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बीमारी , गरीबी और बेबसी का मारा है ,
किसान आज खराब मौसम से हारा है ।
सिर पर हाथ रखकर अम्बर को ताके ,
घूम - घूम कर बरस रहा बादल आवारा है ।
बेमौसम बरसात में बर्बाद हुई फसल ,
विपदा के इस पल में प्रभु तेरा सहारा है ।
नेता अपनी जेब भरें , क्रूर हुए व्यापारी ,
जय जवान किसान केवल एक नारा है ।
जरूरतमंद को नहीं मिलती कोई मदद ,
भूख से या खुदकुशी से मरता बेचारा है ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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