Monday, 23 March 2020

जनता कर्फ्यू और शंखनाद

बाइस मार्च ....आज की सुबह उठी तो मन में एक संशय था हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री द्वारा आहूत किया गया जनता कर्फ्यू अभियान सफल होगा कि नहीं परन्तु जैसे ही आँगन में आई सारे संशय उसी तरह मिट गये जैसे धूप के निकलने पर ओस की बूंदें । चारों ओर सन्नाटा पसरा था , गलियाँ सूनी पड़ी थी , बाहर न कोई इंसान था न कोई जानवर । यहाँ तक कि छोटे बच्चे भी अपने घरों में खेलते रहे । आज पहली बार कामवाली बाई के न आने पर दुःख नहीं हुआ बल्कि खुशी हुई कि यह वर्ग भी इतना जागरूक हो गया है । जनता कर्फ्यू की सफलता यह सिद्ध करती है कि कानून या सख्ती से बढ़कर मनुष्य का स्व - अनुशासन अधिक महत्वपूर्ण है । सबने कोरोना की भयावहता को समझ लिया है और इससे लड़ने को तैयार हैं । भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश का अपने - आपको घर में स्वस्फूर्त बन्द कर लेना विश्व को एक महान सन्देश देता है कि हम अपनी सुरक्षा के लिए कितने जागरूक हैं ।
           शाम को पाँच बजे जब हम शंख , थाली व घण्टी लेकर बाहर निकले तो अद्भुत नजारा देखने को मिला । लोग अपने घर के बाहर तैयारी के साथ खड़े थे । थाली , ताली ,शंखनाद के द्वारा सभी ने अपनी सहभागिता दी और कोरोना के कर्मवीरों के प्रति अपनी सद्भावना को व्यक्त किया । इस आवाज को सुनने वाले वहाँ आस- पास हों या न हों परन्तु एक - दूसरे का सबने हौसला बढ़ाया और दूर रहकर भी यह संदेश दिया कि मुसीबत की इस घड़ी में हम साथ हैं । इस वक्त न कोई वर्गभेद था न  कोई जातिभेद , सभी सिर्फ और सिर्फ भारतीय थे । यह हमारी संस्कृति है जो हमें उदार , शांतिप्रिय और  समन्वयशील बनाती है । यह नजारा वाकई मर्मस्पर्शी था । शाहीनबाग में धरना दे रहे और विदेशों से आकर छिपने व अलग न रहकर दूसरों को संक्रमित करने वाले लोगों के प्रति हर किसी के मन में आक्रोश है । काश ! वे स्थिति की भयावहता को समझते और सावधान रहते तो बीमारों की संख्या इतनी भी न होती ।
          यह हमारे समाज और देश के हित में है कि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझे , सतर्कता बरते , कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए बताये जा रहे नियमों का पालन करे , भीड़भाड़ वाले जगहों पर जाने से बचें । 
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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