पदांत - है वहाँ
मात्रा भार - 19
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प्यार है जहाँ , नहीं आह है वहाँ
दर्द है जहाँ , अश्कगाह है वहाँ
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रात की पनाह में , भोर है छिपा
चाह है जहाँ नई राह है वहाँ
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बाँध दे जो तीव्र जाह्नवी की * धार
उसी धीर की वाह - वाह है वहाँ
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आस के उजास की हिलोर है जहाँ
प्रेम की प्रगाढ़ता की थाह है वहाँ
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त्याग , तोष , तप की विनीत साधना
भावना का सघन प्रवाह है वहाँ
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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