Monday, 23 March 2020

सजल - 17

समांत - आह
पदांत - है वहाँ
मात्रा भार - 19
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प्यार है जहाँ , नहीं आह है वहाँ
दर्द है जहाँ  , अश्कगाह है वहाँ
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रात की पनाह में ,  भोर है छिपा
चाह है जहाँ  नई  राह है वहाँ
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बाँध दे जो तीव्र जाह्नवी  की * धार
 उसी धीर  की वाह - वाह है वहाँ
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आस के उजास की  हिलोर है जहाँ
प्रेम  की प्रगाढ़ता की थाह है वहाँ
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त्याग , तोष , तप  की विनीत साधना
भावना का सघन प्रवाह है वहाँ
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़




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