आज का दिन कुछ विशेष था उसकी पेंटिंग देखकर दोनों बच्चे अत्यंत प्रफुल्लित हुए साथ ही चकित भी। " माँ ! आप तो बहुत खूबसूरत पेंटिंग बनाती हैं बिल्कुल बाजार में मिलने वाली पेंटिंग्स की तरह । आप हमेशा क्यों नहीं बनाती ? " बिटिया ने आँखें फैलाकर कहा । उसके आठ वर्षीय भाई ने समर्थन किया और पापा ने भी । उतना वक्त नहीं निकाल पाती.. धीमी आवाज में शिखा ने उत्तर दिया था । " मम्मा आज के बाद आप अपनी पेंटिंग्स के लिए समय निकालेंगी और हाँ मेरे कमरे के लिए आपको बड़ी वाली तस्वीर बनानी होगी " बिटिया ने उसके गले में अपनी बाहें डालकर मनुहार की तो शिखा मुस्कुराए बिना नहीं रह सकी । इस कोरोना ब्रेक ने रोजमर्रा के कामों से ऊबते सीले से मन को ताजगी की धूप दिखा दी थी ।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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