समां त - अड़ी
पदांत - है
मात्रा भार - 20
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मुसीबत ये सिर पर आई बड़ी है
रखो धीर ये परीक्षा की घड़ी है
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रखना है संयम खुद पर ही हमको
चलती रहे जो साँसों की लड़ी है
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सुरक्षा हमारी केवल सावधानी
हमें तोड़ना संक्रमण की कड़ी है
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कोशिश हम सबको करनी ही होगी
यहाँ नहीं कोई जादू की छड़ी है
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खतरे को समझें सम्भल जाएं अब
हम सबके आगे ये मौत खड़ी है
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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