नमन करूँ मैं माँ शारदे को ,
मुझको नित ही ज्ञान मिले ।
चलती रहे यह कलम निरन्तर,
जग में विशिष्ट पहचान मिले ।।
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बढ़ती रहूँ सत्य के पथ पर ,
राह में न कोई तूफान मिले ।
हृदय विशाल बने सागर सा ,
लहरों सा सबल उत्थान मिले ।।
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स्नेह मिले सदा स्वजन का ,
पथ के साथी ज्ञानवान मिले ।
सुंदर , सरल , सहज हो जीवन ,
कभी भी न कोई अपमान मिले ।।
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महके सदैव मेरी बगिया ,
प्यार , मान - सम्मान मिले ।
सौभाग्य का वरदान दे माँ ,
चरणों में तेरे स्थान मिले ।।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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