Tuesday, 14 April 2020

सजल

सजल 
समांत - ईल
पदांत - है
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भाग्य की शिकायत में देता कई दलील है ,
 कर्मशीलता  का  पक्षधर वक्त बना वकील है ।
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लक्ष्य निर्धारित करने से ही मिलेगी मंजिल ,
साहस से ऊँची उड़ान भरता हुआ चील है ।
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घाव कड़वी बोली का भरता नहीं जीवन भर ,
 छोड़ जाती  निशान जब चुभती  कोई कील है ।
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सत्संग का असर देखो  क्या  रंग दिखाता है ,
अंबर के अनुराग  में  समंदर हुआ नील है ।
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न्याय की देवी ने आँखों पर बाँधी पट्टी है ,
 चीख - चीख कर सच  कर रहा न्याय की अपील है ।
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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