सजल
सबकी नित नई कहानी है
लहरों में मौज रवानी है
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मदमस्त पवन का झोंका है
जो जीते वही जवानी है
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उड़ने को है अम्बर सारा
कदमों में दुनिया* झुकानी है
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यादें ही जग में रह जातीं
साँसें तो आनी - जानी है
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कोशिश है दुनिया कहे मुझे
सूरत जानी पहचानी है
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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