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समांत --- आद
पदांत --- किया है
मा०भा० --- 22
मात्रापतन -- * चिह्नित है
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रूढ़ियों से देश को आजाद किया है
नीतियों से चमन को आबाद किया है
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भूलना उन्हें नहीं जो देश हित मरे
उनकी जय का उच्च शंखनाद किया है
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कठिनाइयों ने जिंदगी आसान बना दी
पुरुषार्थ ने ही जीत से संवाद किया है
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वेदना की थाह तुम तो भाँप न पाए
आँसुओं ने दर्द का अनुवाद किया है
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ये साँप आस्तीन के सगे नहीं कभी
देश को जयचंदों* ने बर्बाद किया है
जयचंदों* ने ही देश को बरबाद किया है
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स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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