Sunday, 27 May 2018

किस्से सुखीराम के भाग - 3

किस्से सुखीराम के भाग 3
   उस दिन सुखीराम घर पर ही थे...समाचार पत्र लेकर आँगन में बैठे ही थे कि पड़ोस के घर से वाद - विवाद के स्वर सुनाई पड़े...उनकी पत्नी ने भी कई बार जिक्र किया था कि पड़ोस के घर में किराए पर रहने आये दम्पत्ति आपस में बहुत झगड़ते हैं और पूरा मोहल्ला उनके बीच होते झगड़े का आनन्द लेता है.. और उनका मजाक भी खूब उड़ाया जाता है । क्या वे इस बात से अनजान होंगे कि बाहर सभी उनकी बातें सुन रहे हैं फिर भी वे ऐसी हरकतें क्यों करते हैं? पत्नी  कृष्णा ने उनसे सवाल किया । गुस्सा.. कृष्णा ...क्रोध मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति को नष्ट कर देता है फिर कहाँ उसे ख्याल आता है कि कौन क्या सोचेगा... नहीं तो वे लड़ते ही नहीं । क्रोध में लोग बड़ी - बड़ी गलती कर देते हैं परन्तु जब यह ज्वार थमता है तब महसूस होता है कि क्या अपराध हो गया उनसे ।
   उनके परिवार को तो मैं जानती नहीं लेकिन   स्त्री बड़ी भली लगती है...बड़े स्वादिष्ट व्यंजन बनाती है.. एक दो बार हमारे घर आई थी  त्यौहार पर प्रसाद देने...बातें भी अच्छी करती है ,  पता नहीं क्या वजह होगी जो उनके बीच इतने झगड़े होते हैं । छोटी - छोटी नोकझोंक  या बहस होना तो गृहस्थ जीवन में  सामान्य बात है... दो अलग माहौल में जन्मे , पले बढ़े व्यक्ति जब साथ रहने लगते हैं तो कुछ मतभेद तो होते ही हैं  पर इन्हें दाल में तड़के की तरह ही देखा जाना चाहिए न कि बहुत बड़ी गलती की तरह । बहुत अधिक अकड़ना या लचीला होना भी गृहस्थी को नीरस बना देता है.. थोड़े चटपटे पन की जीवन में गुंजाइश तो बने ही रहना चाहिए ...
उनके बीच क्या समस्या है मैं नहीं जानता लेकिन किसी एक के द्वारा दूसरे को सम्मान या महत्व न देना भी एक कारण हो सकता है नाराजगी का जो किसी न किसी बहाने उभरकर आते रहता है । पति - पत्नी दोनों एक - दूसरे को स्पेस दें तो झगड़े , असंतोष की कोई गुंजाइश नहीं... दरअसल उनके साथ उनके माता - पिता नहीं हैं नहीं तो ऐसे वक्त समझदार माता - पिता की समझाइश काम आती है । कभी उनसे मुलाकात होगी तो मैं उन से बात करूँगा ...नासमझी में कई बार रिश्ते बिखर जाते हैं और फिर उन्हें टूटने से कोई बचा नहीं सकता । क्या सुखीराम अपने पड़ोसी की कोई मदद कर पाये... उन्होंने क्या तरकीब निकाली ...पढ़ते हैं अगले भाग में...तब तक के लिए नमस्कार , प्रणाम , जय जोहार ।

स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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