Friday, 11 May 2018

पानी ल बचाव

सबो कोती गोहार परगे ,
सुक्खा परगे कुंआ , तलाव ..
अब्बड़ अनमोल होगे ,
पानी ला बचाव ...
गरमी ह भारी बाढ़गे ,
पाना डारा सुखागे ...
जम्मो परानी पियासे मरत हे,
ऊंखर पियास  ल बुझाव...।
कुआं , तलाव बचावव गा ,
नदिया ला झन मइलाव...
माटी ल बचाय बर ,
रुख राई ल झन कटवाव...।
सीमेंट के बस्ती बना देव ,
गमला बर माटी खोजे जाव...
छांव चाही गरमी म तव ,
बनेकन रुख ल लगाव ....।

स्वरचित -- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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