Thursday, 17 May 2018

जिनगानी के हाल

जिंदगानी के हाल...
तोला का बताव संगी  ..
रेहेंव फटेहाल ...
फेर कर पारेव बिहाव संगी...।
बाई के घर आये ले...
मन मंजूर नाचीस...
अंगना  कुरिया चमक गे ,
मोरो भाग जागिस...
मेहर ओखर हीरो बनगेव,
सोच सोच मुस्कियाव संगी ....।
थोरकिन दिन बने लागिस...
तहां नून तेल के खर्चा बाढिस ,
कपड़ा लत्ता , काजल ,लिपस्टिक...
अब्बड़ कन ओखर फरमाइश ,
कइसे एला निपटाव संगी....।
दु बछर म लइका आगे..
जउहर मोर परान सुखागे...
लइका अउ बाई के चक्कर मा ,
मोर मुड़ी के चुन्दी झररागे ...
बुता करे कइसे जाव संगी...।
घर मा किचकिच...
बाहिर ऊंच नीच...
कोनो नइहे रद्दा दिख्य्या ...
आमदनी अठन्नी , खर्चा रुपय्या,
कइसे पार लगाव संगी.....।
जिनगानी के हाल ल...
तोला कइसे बताव संगी....।।

स्वरचित --- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़

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