जिंदगानी के हाल...
तोला का बताव संगी ..
रेहेंव फटेहाल ...
फेर कर पारेव बिहाव संगी...।
बाई के घर आये ले...
मन मंजूर नाचीस...
अंगना कुरिया चमक गे ,
मोरो भाग जागिस...
मेहर ओखर हीरो बनगेव,
सोच सोच मुस्कियाव संगी ....।
थोरकिन दिन बने लागिस...
तहां नून तेल के खर्चा बाढिस ,
कपड़ा लत्ता , काजल ,लिपस्टिक...
अब्बड़ कन ओखर फरमाइश ,
कइसे एला निपटाव संगी....।
दु बछर म लइका आगे..
जउहर मोर परान सुखागे...
लइका अउ बाई के चक्कर मा ,
मोर मुड़ी के चुन्दी झररागे ...
बुता करे कइसे जाव संगी...।
घर मा किचकिच...
बाहिर ऊंच नीच...
कोनो नइहे रद्दा दिख्य्या ...
आमदनी अठन्नी , खर्चा रुपय्या,
कइसे पार लगाव संगी.....।
जिनगानी के हाल ल...
तोला कइसे बताव संगी....।।
स्वरचित --- डॉ. दीक्षा चौबे , दुर्ग , छत्तीसगढ़
वाह वाह
ReplyDeleteक्या बात बहुत सुन्दर
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