Friday, 19 April 2019

गज़ल

मन ही  मन घुटने से बेहतर , गुनगुनाना चाहिए ।
लाख गम हो जिंदगी में , फिर भी मुस्कुराना चाहिए ।

राहे जिंदगानी बड़ी मुश्किल है  तू  अकेला न चल ,
मुसीबतों में साथ दे , ऐसा हमसफ़र बनाना चाहिए ।

महफ़ूज रखती हैं हमें  तूफान  और बारिश से..
मजबूत रखनी हो जो दीवारें ,नमी से बचाना चाहिए ।

वक्त  रेत की तरह मुट्ठी  से  कहीं फिसल न जाये ,
व्यस्तताओं  में भी खुशियों के  पल चुराना चाहिए ।

अर्जुन की तरह एकाग्र व  कर्तव्यनिष्ठ बने रहना ,
भेद सके लक्ष्य  को  अचूक  वो निशाना चाहिए ।

जिंदगी  की राहों में गुलों के संग खार भी मिलेंगे ,
इन सबको साथ लेकर प्यार से  निभाना चाहिए । 

मिटा कर  अंधेरा   हर कोने  में उजाला भर दे ।
मन में ' दीक्षा ' ज्ञान की ज्योति जलाना चाहिए।

स्वरचित -     डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़

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