कदम बढ़ाते चलो पुकारती हैं वादियाँ
हौसलों से जीत लेंगे राह की दुश्वारियाँ ।
बादलों ने ढक लिया कुछ देर आसमान ,
सूरज को न रोक पायेंगी रात की बेड़ियाँ ।
ऊँचे - नीचे रास्ते क्या हुआ जो गिर पड़े ,
थामकर हाथ एक साथ चलेंगे साथिया ।
पार कर लेंगे बाधाओं को हम मिलकर ,
पहाड़ों की ऊँची चोटी देती हैं चुनौतियाँ ।
प्रेम , सहयोग का नाम ही है दोस्ती ,
पूरी करेंगे जीवन की हर कसौटियाँ ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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